जब मोमिन के सामने किसी दूसरे मोमिन की ग़ीबत हो तो उसे रोकना कैसा है - Golden Words

Thursday, November 25, 2021

जब मोमिन के सामने किसी दूसरे मोमिन की ग़ीबत हो तो उसे रोकना कैसा है

When another believer is being insulted and insulted in front of a believer, then if he has the power to stop him, how to stop him?

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*माह- *रबीउल आखिर शरीफ*1443 हिजरी*

 *चांद:2️⃣0️⃣*

 *वार- *जुमुआह*

तारीख़* *2️⃣6️⃣-1️⃣1️⃣-2️⃣0️⃣2️⃣1️⃣*

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✒️ **इस्लामिक सवाल जवाब ग्रुप*


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   *आज का सवाल नंबर*3️⃣5️⃣


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🕋:- **इस्लामिक सवाल जवाब  ग्रुप*🕋

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           *आज का सवाल*

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*सवाल :- जब मोमिन के सामने किसी दूसरे मोमिन की ग़ीबत यानी बेइज़्ज़ती और आबरू रेजी की जा रही हो, तो अगर उसे रोकने की क़ुदरत हो तो उसे रोकना कैसा है❓*


*( A ) अफज़ल है*


*( B ) मुस्तहब है*


*( C ) उसके आमल उसके सर*


*( D ) वाजिब है*


E) मुझे मालूम नहीं. इंशा अल्लाह इल्म हासिल करने की कोशिश करेंगे


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👉🏻 *हो सके तो सभी भाई जवाब देंने की कोसिस करे जो जवाब दे अल्लाह उनकी कोसिस करने की नीयत से प्यारा प्यारा काबा ओर मीठा मीठा मदीना दिखाए।*👈🏻*آميــــــــــــــــــــن يَارَبَّ الْعَالَمِين*


*⚠नोट :- इस क्विज़ का नेक मक़सद दीनी मालूमात में इज़ाफ़ा है।_इंशा अल्लाह इल्मे दीन सीखने का सवाब आपको मिलेंगा !!* 

आज का सही जवाब *D*    


जवाब    *मुसल्मान की ग़ीबत करने वाले को रोकने की कुदरत होने की सूरत में रोक देना वाजिब है,* रोकना सवाबे अज़ीम और न रोकना बाइसे अज़ाबे अलीम (या'नी दर्दनाक अज़ाब का बाइस) है !

*इस जिम्न में चार फ़रमाने मुस्तफ़ाﷺ मुलाहज़ा फरमाइये :👇*


(1) जिस के सामने उस के मुसल्मान भाई की ग़ीबत की जाए और वोह उस की मदद पर कादिर हो और मदद करे, अल्लाह पाक दुन्या और आखिरत में उस की मदद करेगा और अगर बा वजूदे कुदरत उस की मदद नहीं की तो अल्लाह पाक दुन्या और आखिरत में उसे पकड़ेगा।


(2) जो शख्स अपने भाई के गोश्त से उस की गैबत (अदम मौजूदगी) में रोके (या'नी मुसल्मान की ग़ीबत की जा रही थी इस ने रोका) अल्लाह पाक पर हक़ है कि उसे जहन्नम से आज़ाद कर दे। 


*(3) जो मुसल्मान अपने भाई की आबरू से रोके (या'नी किसी मुस्लिम की आबरू रेज़ी होती थी उस ने मन्अ किया) तो अल्लाह पाक पर हक़ है कि कियामत के दिन उस को जहन्नम की आग से बचाए। इस के बाद इस आयत की तिलावत फ़रमाई :  तरजमए कन्जुल ईमान :- और हमारे जिम्मए करम पर है मुसलमानों की मदद  फ़रमाना।*


*(4) जहां मर्दे मुस्लिम की हत्के हुरमत (या'नी बे इज्ज़ती) की जाती हो और उस की आबरू रेज़ी की जाती हो ऐसी जगह जिस ने उस की मदद न की (या'नी येह खामोश सुनता रहा और उन को मन्अ न किया) तो अल्लाह पाक उस की मदद नहीं करेगा जहां इसे पसन्द हो कि मदद की जाए और जो शख़्स मर्दे मुस्लिम की मदद करेगा ऐसे मौक पर जहां उस की हत्के हुरमत (या'नी बे इज़्ज़ती) और आबरू रेज़ी की जा रही हो, अल्लाह पाक उस की मदद फ़रमाएगा ऐसे मौक पर जहां इसे महबूब (या'नी पसन्द) है कि मदद की जाए।*




*📚✍( अनवारे शरीअत, सफ़ह,59,60,61)*

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